सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच ने चीनी कंपनियों में निवेश किया !! भ्रष्टाचार के मामलों का खुलासा लगातार..

 

 

सेबी की चेयरपरसन सुश्री माधबी पुरी बुच भ्रष्टाचार के मामले में लगातार घिरती जा रही हैं। कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने सुश्री माधबी पुरी बुच के भ्रष्टाचार के आरोपों की श्रंखला में एक अहम खुलासा किया है. पवन खेड़ा ने सेबी प्रमुख की विदेशी संपत्तियों में हिस्सेदारी और निवेश के बारे में चौंकाने वाले विवरण देते हुए बताया कि सुश्री माधबी पी. बुच ने 2017 से 2023 के दौरान पूर्णकालिक सदस्य और बाद में सेबी के अध्यक्ष रहते हुए 36.9 करोड़ रुपये की सूचीबद्ध प्रतिभूतियों का व्यापार किया. यही नहीं, 2017-2021 के बीच सुश्री माधबी पी. बुच के पास विदेशी संपत्ति थी. पवन खेड़ा ने सनसनीखेज़ आरोप लगाते हुए कहा कि यह अत्यंत चिंताजनक है कि सुश्री माधबी पी. बुच, जो SEBI की अध्यक्ष हैं, ने चीनी फंड्स में निवेश किया है. उनके मुताबिक सेबी अध्यक्ष ऐसे समय में चीनी फर्मों में निवेश कर रही हैं जब भारत चीन के साथ भू-राजनीतिक तनाव का सामना कर रही है.

सेबी प्रमुख सुश्री माधबी पुरी बुच पर भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर  ये चौथे संवाददाता सम्मेलन में पवन खेड़ा का ये खुलासा काफी संगीन है. उन्होनें बकायदा आंकड़ों के साथ बताया कि सुश्री माधबी पुरी बुच ने 2017 से 3023 के बीच सूचीबद्ध प्रतिभूतियों में 36,96,27,814 करोड़ रुपए का निवेश किया है. उनका कहना है कि यह व्यापारिक गतिविधि सेबी के बोर्ड सदस्यों के लिए हितों के टकराव पर संहिता (2008) की धारा 6 का उल्लंघन करती है, पवन खेड़ा ने पीएम मोदी से सवाल किया है कि बतौर SEBI की अध्यक्ष, सुश्री माधबी पी. बुच के पास अप्रकाशित मूल्य संवेदनशील जानकारी (Unpublished Price Sensitive Information) थी, तब भी वह सूचीबद्ध प्रतिभूतियों में व्यापार कैसे कर रही थीं?

 

पवन खेड़ा ने कहा है कि हमारे पास जानकारी है कि 2017-2021 के बीच सुश्री माधबी पी. बुच के पास विदेशी संपत्ति थी. 2021 से 20224 के बीच यूएसए में सुश्री माधबी पुरी बुच की संपत्तियों का विवरण जारी करते हुए उन्होंनेे बताया कि वैनगार्ड टोटल स्टॉक मार्केट ईटीएफ (वीटीआई),एआरके इनोवेशन ईटीएफ (एआरकेके), ग्लोबल एक्स एमएससीआई चाइना कंज्यूमर (सीएचआईक्यू),और इन्वेस्को चाइना टेक्नोलॉजी ईटीएफ (सीक्यूक्यूक्यू में सुश्री माधबी पुरी बुच ने निवेश किया है. इस विदेेशी निवेश को लेकर उन्होंने पीएम मोदी और सेबी प्रमुख से कुछ अहम सवाल किए हैं-

  •   उन्होंने पहली बार विदेशी संपत्ति कब घोषित की और सरकार की किस एजेंसी को?
  •  क्या यह सच है कि सुश्री माधबी पी. बुच एगोरा पार्टनर्स पीटीई (सिंगापुर) में सक्रिय रूप से शामिल थीं क्योंकि वह बैंक खाते पर हस्ताक्षरकर्ता थीं?
  • क्या प्रधानमंत्री इस बात से अवगत हैं कि सुश्री माधबी पी. बुच ने भारत के बाहर उच्च मूल्य के निवेश किए हैं? यदि हां, तो इस निवेश की तिथि और खुलासे की तिथि क्या है?
  • क्या प्रधानमंत्री को पता है कि सेबी अध्यक्ष ऐसे समय में चीनी फर्मों में निवेश कर रही हैं जब भारत चीन के साथ भू-राजनीतिक तनाव का सामना कर रही है?

मीडिया और प्रचार विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने पीएम मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि जब भारत के प्रधानमंत्री सार्वजनिक रूप से चीन को क्लीन चिट दे सकते हैं, तो यह आश्चर्य की बात नहीं है कि एक प्रमुख नियामक अधिकारी चीन से जुड़े निवेश कर रहे हैं।

2 सितंबर को पहली बार सुश्री माधबी पुरी बुच के भ्रष्टाचार को लेकर कांग्रेस हमलावर हुई थी. पवन खेड़ा ने खुलासा करते हुए बताया कि सुश्री माधबी पी. बुच ने आईसीआईसीआई बैंक और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल से 16.8 करोड़ रुपये (वेतन, ईएसओपी और ईएसओपी पर टीडीएस के रूप में) प्राप्त किए, जबकि इस दौरान उन्हें सेबी से भी वेतन मिल रहा था.

चौंकाने वाली बात यह है कि सेबी इस दौरान आईसीआईसीआई और उसके सहयोगियों के खिलाफ शिकायतों को संभाल रहा था.

 

पवन खेड़ा के आरोपों पर आईसीआईसीआई ने सफाई देते हुए कहा कि श्रीमती माधबी पुरी बुच को भुगतान की गई राशि आईसीआईसीआई में उनके कार्यकाल के दौरान अर्जित की गई धनराशि है और उनकी “सेवानिवृत्ति लाभ” है. कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने इस पर सवाल खड़े करते हुए पूछा कि

 “सेवानिवृत्ति लाभ” में भुगतान की आवृत्ति और धनराशि को लेकर इतनी असमानता क्यों है?

यदि सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद सेवानिवृत्ति लाभ के रूप में एकमुश्त 5.03 करोड़ भुगतान कर दिया गया था तो ये तथाकथित “सेवानिवृत्ति लाभ” 2016-17 में फिर क्यों शुरू कर दिया गया और 2021 तक ये भुगतान जारी क्यों रहा?

पवन खेड़ा ने ये भी खुलासा किया कि सुश्री माधबी पुरी बुच की 2007 से 2013-14 के बीच उनके कार्यकाल के दौरान (आईसीआईसीआई से सेवासमाप्ति से पहले तक) औसत वेतन 1.30 करोड़ रुपए सालाना था. श्रीमती माधबी पुरी बुच को आईसीआईसीआई के 2016-17 से 2020-21 के बीच ये तथाकथित “सेवानिवृत्ति लाभ” के रूप में भुगतान का औसत 2.77 करोड़ रुपए सालाना है. श्री खेड़ा ने आईसीआईसीआई से पूछा कि किसी कर्मचारी का “सेवानिवृत्ति लाभ” उसके वेतन से ज्यादा कैसे हो सकता है? 

पवन खेड़ा ने आईसीआईसीआई की ESOP नीति पर भी सवाल खड़े किए . आईसीआईसीआई ने अपनी एकमात्र घोषित ESOP नीति जो U.S. Securities Exchange Commission (SEC) वेबसाइट पर प्रकाशित की है, उसमें साफ तौर पर लिखा गया है कि पूर्व कर्मचारी अपनी ऐच्छिक सेवानिवृत्ति के सिर्फ तीन महीने बाद तक ESOP का उपयोग कर सकते हैं.  (https://www.sec.gov/Archives/edgar/data/1103838/000095010317007351/dp7772 0_ex0401.htm) अत:

  •   वो “संशोधित नीति” कहां हैं, जिसके तहत सेवानिवृत्ति की तारीख के आठ साल बाद तक ESOPs का उपयोग श्रीमती माधबी पुरी बुच आधिकारिक तौर पर कर रहीं थीं?
  • आईसीआईसीआई ने ये “संशोधित नीति” सार्वजनिक क्यों नहीं की? 
  • कंपनी के शेयर ऊपर चढ़ने पर श्रीमती माधबी पुरी बुच को ESOPs का उपयोग क्यों करने दिया गया, जिसका फायदा उन्होंने भी उठाया.
  • उससे भी हैरान करने वाली बात ये है कि ये फायदे उन्होंने SEBI में अपने कार्यकाल के दौरान उठाए. क्या बाजार मूल्य उनके लिए फायदेमंद नहीं था?
  • ESOPs जो श्रीमती माधबी पुरी बुच को दिए गए, क्या कर्मचारियों के ESOPs ट्रस्ट से उपलब्ध कराए गए?
  • आईसीआईसीआई ने श्रीमती माधबी पुरी बुच की तरफ से टीडीएस का भुगततान क्यों किया?
  • क्या यही प्रोटोकॉल सेवानिवृत्त और वर्तमान कर्मचारियों के लिए अपनाया जाता है?
  • आईसीआईसीआई ने इस टीडीएस राशि को टैक्सेबल इन्कम के तौर पर क्यों नहीं दिखाया. क्या ये इन्कम टैक्स कानून का साफ तौर पर उल्लंघन नहीं है?

6 सितंबर 2024 को इसी श्रंखला मेंं श्री खेड़ा ने खुलासा किया कि 2018-2024 के बीच, सुश्री बुच ने अपनी संपत्ति वॉकहार्ट लिमिटेड की सहयोगी कंपनी कैरोल इन्फो सर्विसेज लिमिटेड को किराए पर दी, जो इनसाइडर ट्रेडिंग के लिए सेबी के जांच के दायरे में है. यही नहीं, बल्कि चार साल में 7 लाख  रेंटल इनकम 2018-19 में 7 लाख रुपए से बढ़कर 2023-24 में 46 लाख रुपए हो गई. इस पर सुश्री बुच ने आरोपों को बेबुनियाद बताया. उन्होंने कहा कि किराए पर देते वक्त इस बात की जानकारी नहीं थी कि ये वॉकहॉर्ट लि, से कोई रिश्ता है.

10 सितंबर को भ्रष्टाचार की इसी कड़ी में पवन खेड़ा ने एक और अहम जानकारी का खुलासा किया. उन्होंने बताया कि श्रीमती माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच के पास 7 मई, 2013 को पंजीकृत हुई एगोरा एडवॉयज़री प्राइवेट लिमिटेड के 99 फीसदी शेयर्स हैं. सेबी चेयरपरसन पर भ्रष्टाचार के आरोपों को ले कर जारी हुई हिंडनबर्ग रिपोर्ट  के बाद श्रीमती बुच ने खंडन करते हुए कहा था कि सेबी का पूर्णकालिक सदस्य बनने के बाद से ये कंपनी निष्क्रिय हो गई है. जबकि पवन खेड़ा ने कहा कि 31 मार्च,2024 तक एगोरा एडवॉयज़री प्राईवेट लिमिटेड में श्रीमती और श्रीमान बुच की 99 फीसदी हिस्सेदारी है और कंपनी पूरी तरह सक्रिय है. और इस कंपनी के जरिए सेबी की पूर्णकालिक सदस्य और फिर चेयरपरसन  रहते हुए सुश्री माधबी पुरी बुच ने 2016-17 से 2019-20 और 2023-24 तक अगोरा के माध्यम से 2.95 करोड़ रुपए की आय भी अर्जित की है.

सुश्री बुच पर चौंकाने वाला खुलासा करते हुए पवन खेड़ा नेे बताया कि एगोरा एडवॉयज़री प्रा.लि. न सिर्फ सक्रिय है बल्कि सेबी की पड़ताल के दायरे में आने वाली कई लिस्टेड और सेबी द्वारा विनियमित होने वाली कंपनियों को सेवाएं भी दे रही है. इन कंपनियों में महिंद्रा एंड महिंद्रा, डॉ. रेड्डी, पिडिलाइट, आईसीआईसीआई, सेंबकॉर्प और विसु लीजिंग एंड फाईनेंस शुमार हैं.

सेबी के आचार संहिता ( Code of Conduct) के अनुच्छेद-5 के अनुसार ये सीधा-सीधा हितों के टकराव (Conflict of Interest) का स्पष्ट रूप से मामला है. जिसके तहत सेबी की निगरानी या पड़ताल के दायरें में आने वाली कंपनियों से व्यावसायिक या वित्तीय संबंध भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है.

लेकिन आरोपों के मुताबिक सुश्री माधबी पुरी बुच जो शेयर मार्केट की नियामक संस्था सेबी की प्रमुख हैं, उन्होंने अपने  संहिता और आचार को ताक पर रख दिया. हैरान करने वाली बात तो ये है कि एगोरा एडवॉयज़री पप्रा. लि. के जरिए माधवी पुरी बुच के द्वारा अर्जित 2 करोड़ 85 लाख का 88 प्रतिशत महिंद्रा एंड महिंद्रा से प्राप्त हुआ है.

इससे भी ज्यादा चौंकानेे वाली बात ये है कि माधबी पुरी बुच के पति धवल बुच को 2019 से 2021 के बीच में महिंद्रा एंड महिंद्रा से 4.78 करोड़ रुपए प्राप्त हुए.जबकि इस दौरान माधबी पुरी बुच सेबी की पूर्णकालिक सदस्य थीं. यहां महत्वपूर्ण तथ्य ये है कि सेबी के कोड ऑफ कंडक्ट के सेक्शन-11, और 1B के मुताबिक तहत हितों के टकराव यानि भ्रष्टाचार का साफ-साफ मामला है. हालांकि महिंद्रा एंड महिंद्रा ने सफाई देते हुए कहा है कि धवल बुच को उनकी पेशेवराना योग्यता के आधार पर कंपनी के सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था.

ये जान कर हैरत होना लाजिमी है कि इसी दौरान सेबी ने महिंद्रा एंड महिंद्रा के पक्ष में चार से ज्यादा ऑर्डर दिए. सेबी ने ये आदेश 31 मई, 2019, 21 जुलाई, 2020, 26 मार्च, 2018, 21 अप्रेल,2020 और 27 अगस्त, 2021 को पारित किए.

इससे भी ज्यादा दिलचस्प बात ये है कि 2019-20 में धवल बुच को 1 करोड़ 73 लाख 60 हज़ार रुपए और 2020-21 में 3 करोड़ चार लाख 57 हज़ार 500 रुपए. यानि इस दौरान माधबी पुरी बच के पति श्री धवल बुच को कुल 4 करोड़ 78 लाख 17 हज़ार 500 रुपए महिंद्रा एंड महिंद्रा कंपनी से प्राप्त हुए. इसी दौरान महिंद्रा एंड महिंद्रा को सेबी से राहत मिली.

तब भी पवन खेड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से  सवाल किए थे और पूछा था कि

  • .क्या आपकी जानकारी में था या है कि एगोरा एडवॉज़री प्राईवेट लिमिटेड के 99 प्रतिशत शेयर माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच के पास हैं?
  •  खुफिया एजेंसी ने आपको ड्यू डिलिजेंस करके कोई रिपोर्ट नहीं दी थी क्या?
  • अगर आपके पास रिपोर्ट थी तो और आपको लगा कि ये इतना भ्रष्ट हैं तो मेरी हर बात सुनेंगी?
  • क्या प्रधानमंत्री जी आपको, आपके पेगासस को, आपकी आईबी को, आपके पास जितनी एजेंसीज़ हैं, जिन्हें गैर बीजेपी राज्यों में सक्रिय रखा जाता है. क्या इन एजेंसियों ने आपको ये जानकारी नहीं दी कि एगोरा एडवॉयज़री प्रा.लि. के व्यवसायिक और वित्तीय रिश्ते उन कंपनियों से हैं, जिनको सेबी जांच कर रही है?
  • क्या आपकी सरकार में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं था, जिसने इतनी हिम्मत जुटाई कि वो सारे कागज़ात आपके सामने रख सके?
  • ये कौन सी मिलीभगत चल रही है, किसको फायदा पहुंचाने के लिए और किसको बचाने के लिए या किसको फंसाने के लिए ये भ्रष्टाचार किया जा रहा है.

एक माह पहले हिंडनबर्ग ने खुलासा किया था कि विनोद अडानी और उनके सहयोगियों ने मॉरीशस और बरमूडा के जिनन फंड्स में पैसा लगाया था, उन्हीं फंड्स में सेबी प्रमुख और उनके पति ने भी निवेश किया है. यहां ये बताना गौरतलब होगा कि अडानी पर लगे वित्तीय गड़बड़ियों के आरोपों की जांच सेबी को ही सौंपी गई है. 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने जांच की समयावधि तीन महीने और बढ़ा दी है. कांग्रेस ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सामने आने पर सुश्री बुत के इस्तीफे और संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग की है.

बहरहाल सेबी प्रमुख सुश्री माधबी पुरी बुच पर आरोपों को एक बहुत बड़े भ्रष्टाचार की छोटी सी झलक भर माना जा रहा है. सवाल ये भी उठ रहे हैं कि क्या अडानी मामले की जांच से भी ये मामला जुड़ा है. यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुश्री माधबी पुरी बुच पर कार्रवाई से बच रहे हैं।

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