सच हो गई राहुल की बात.. रो पड़े मोदीजी..इंडिया गठबंधन तीन सौ पार…

    पता नहीं, राहुल गांधी की कही हर बात सच क्यों हो जाती है? उन्होंने हाल ही कहा था कि मोदीजी रोने वाले हैं… वाराणसी में रो पड़े मोदीजी…

    वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आंखों में आए आंसू उनके मानसिक तनाव को जाहिर कर रहे हैं. क्योंकि चौथे चरण के बाद तय हो गया है कि इंडिया तीन सौ पार करने जा रही है, वहीं, एनडीए बहुमत पाने की लड़ाई लड़ रही है. 

चार चरणों में 379 सीटों पर मतदान से देश का भविष्य लगभग तय हो चुका है. 2019 के चुनाव में इन चार दौर में बीजेपी को अधिकतम सीटें हासिल हुईं थीं. लेकिन पिछले तीन चरणों में ही बीजेपी को 40 से 50 सीटों से ज्यादा का नुकसान हो चुका हैै. वहीं, अगले दौर बीजेपी और मोदी के लिए खासे भारी साबित होने वाले हैं.

इंडिया गठबंधन पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अबकी बार चार सौ पार का नारा दिया था. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, बीजेपी औऱ प्रधानमंत्री मोदी का आकलन था कि राम मंदिर निर्माण से उन्हें अपार जनसमर्थन  मिल जाएगा और लोग बेरोजगारी और महंगाई जैसे बुनियादी मुद्दे भूल कर मोदी को देश का चक्रवर्ती सम्राट घोषित कर दिया जाएगा. चुनाव एक औपचारिकता भर रहेगी.

लेकिन लाले तो बीजेपी को 180 सीटों के भी पड़ते नज़र आ रहे हैं. सच्चाई ये है कि एनडीए गठबंधन ही बहुमत तक पहुंचने के लिए कड़ी मशक्कत करती नज़र आ रही है. बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक के बाद राष्ट्रवाद की लहर पर सवार हो कर 2019 में बीजेपी 303 सीटों तक पहुंची थी. वहीं  घटक दलों की जीती 50 सीटों से एनडीए का आंकड़ा 353 हुआ था.

सैफॉलॉजिस्ट औऱ सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव का मानना है कि इन चुनाव  में एनडीए को कम से कम सौ सीटों का नुकसान हो रहा है. लेकिन वहीं पांच राज्यों में पंद्रह सीटों का फायदा भी नज़र आ रहा है. जाहिर है कि 85 सीटों के नुकसान से एनडीए गठबंधन अधिकतम 268 सीटों तक नीचे आ सकता है और पांच सीटों की कमी से बहुमत का आंकड़ा छूने से तरस सकता है.

वहीं इस आंकड़े को उलट कर देखा जाए तो इंडिया गठबंधन 272 का जादुई आंकड़ा पार करता नज़र आ रहा है.  गौरतलब है कि 2019 और बाद के विधानसभा चुनाव के वक्त और आज के हालात में जमीन-आसमान का फर्क है.

वहीं ये आकलन योगेंद्र यादव ने  पिछले चुनाव और वर्तमान चुनाव में वोटिंग प्रतिशत के आधार पर किया है. आकलन में सत्तारूढ़ बीजेपी को संभावित न्यूनतम नुकसान को आधार बनाया है.

लेकिन इंडिया गठबंधन के पक्ष में कई राज्यों में लहर साफ दिखाई दे रही है. कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार ने एक साक्षात्कार में कहा है कि दक्षिण भारतीय राज्यों में बीजेपी के लिए दहाई का आंकड़ा छूना भी दूभर है.

वहींं कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने फिर दोहराया है कि दक्षिण में साफ, उत्तर में हॉफ.

योगेंद्र यादव के विश्लेषण को देखा जाए तो महाराष्ट्र में एनडीए को कम से कम 20 सीट का नुकसान हो रहा है.

कर्नाटक में कम से कम 10 सीट, राजस्थान और गुजरात में भी 10 सीट का नुकसान तय है.

हरियाणा, पंजाब, हिमाचल, पंजाब औऱ चंडीगढ़ में कुल मिला कर 10 सीट

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी 10 सीट, बिहार में 15 सीट,

एमपी,छत्तीसगढ़ और झारखंड में 10 सीट, और

प.बंगाल, असम समेत पूर्वोत्तर राज्यों में कम से कम 10 सीटों का नुकसान एनडीए को होना तय माना जा रहा है.

योगेंद्र यादव के मुताबिक पिछली बार के मुकाबले एनडीए कम से कम सौ सीटों से ज्यादा खोने जा रही है. ये आंकड़ा 140-150 तक पहुंचता नज़र आ रहा है.कुल मिला कर एनडीए गठबंधन के 180-200 सीटों पर सिमटने का पूरा अंदेशा है. 

वहीं एनडीए के नुकसान का फायदा इंडिया गठबंधन को मिलना तय है. इंडिया को 280-300 सीटों पर जीत की प्रबल संभावना जताई जा रही है.

देश भर में बदलाव की गूंज सुनाई दे रही है. माना जा रहा है कि इंडिया की सरकार आ रही है.

बेरोजगारी, महंगाई से परेशान मतदाताओं को कांग्रेस के न्याय पत्र ने नई उम्मीद जगा दी है. राहुल गांधी की वजह से 5 न्याय औऱ 25 गारंटियों के अमल का भरोसा जनता में जमा है.

वहीं, हिस्सेदारी न्याय की वजह से 73 फीसदी आबादी को  सामाजिक-आर्थिक बदलाव रोशनी की किरण दिखाई  दे रही है. कांग्रेस के न्याय पत्र ने देश की भावी राजनीति की दिशा तय कर दी है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, बीजेपी और  मोदी के छद्म हिंदुत्व में छिपे मनुवाद का खूंखार चेहरा सामने ला दिया है.

देश के दमित पिछड़े, दलित औऱ आदिवासी वर्ग के अधिकारों को वंचित करने के लिए आरक्षण खत्म करने की साजिश रची जा रही है. इसीलिए संघ और बीजेपी कोे नेता बार-बार संविधान को बदलने की बात कर रहे हैं.

 जनता ने नरेंद्र मोदी को नकार दिया है और इंडिया गठबंधन की सरकार बनाने का फैसला कर लिया है.

“इंडिया” की सरकार तीन सौ पार….

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